Monday 13 January 2025 7:19 PM
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सामाजिक समानता के प्रबल पक्षधर, डॉ. बी.आर. अबेडकर

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (राकेश कुमार वर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,समता सैनिक दल, भारत) l

संविधान निर्माता, बाबा सहाब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म उस समय हुआ था जब भारतीय समाज में जाति भेदभाव व अस्पृश्यता का भारी बोलबाला था दलित समाज घृणा,अपमान, गरीबी व अभावो का जीवन जी रहा था!इस प्रकार के भेदभावपूर्ण व्यवहार से डॉ.अबेडकर के हृदय को बड़ा आघात पहुंचता था l

भारत रत्न, बाबा सहाब डॉ आंबेडकर के जीवन का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि भारत से लेकर इंग्लैंड तक संघर्षरत रह कर केन्द्रीय मंत्रिमंडल, राज्यसभा तथा बाहर रहकर भारतीय समाज, राजनीतिक तथा इतिहास को उन्होंने नई दिशा दी थी, आज व इस संसार में नहीं हैं परंतु उनके लिए यह कहना कि वे नहीं रहे ऊंचित नहीं होगा l

जिस विभूति ने नि:स्वार्थ भावना से राष्ट्रहित एवं गरीबो,मजदूरो, दलितों और महिलाओं के उत्थान हेतु महान कार्य किए हो, जिसका त्याग समर्पण अविस्मरणीय रहा हो, ऐसे महान आदर्श वाला महापुरुष कभी मर नहीं सकता, उनका शरीर आज हमारे बीच से चला जाता है परंतु उनका आदर्श उनकी विचारधारा हमारे साथ रहती है l

बाबा सहाब जब स्कूल में पढ़ते थे तभी से उन्हें छुआछूत के शूल की चुंबन अनुभव होने लगी वह अपनी कक्षा के दूसरे विद्यार्थी के साथ नहीं बैठ सकते थे, वो स्कूल में अपने हाथ से पानी नहीं पी सकते थे, जब कोई दूसरा ऊपर से पानी पिलाता था तब ही वो पानी पी सकते थे, उनको स्कूल में हर तरह से अपमानित किया जाता था, बाबा सहाब के बाल्य जीवन में इस तरह की पीड़ा से गहरा प्रभाव पड़ता था, जबकि उनके पिताजी रामजी सकपाल भी सेना में रह चुके थे और महार लोग लड़ाकू सिपाही थे l

संसार में अब तक अनेक महामानव समय समय पर पैदा हुए, परंतु बाबा सहाब डॉ आंबेडकर उन सभी महामानव में अहम स्थान रखते थे उनका जन्म एक अछूत समझी जाने वाली महार जाति में हुआ था और उन्हें सुविधा ओर साधन के नाम पर कुछ भी प्राप्त नहीं था, पर फिर भी बाबा सहाब डॉ आंबेडकर विद्वान बने और उन्नति के शिखर पर पहुंचे और भारत के संविधान निर्माता के रूप में समादत्त हुए, बाबा सहाब सदेव कमजोर वर्ग व महिलाओं के अधिकारों और कल्याण के लिए परिश्रम की आग में जला करते थे, बाबा सहाब दिन रात पढ़ते ही रहते थे, वो अपने स्वास्थ तक की चिंता नहीं करते थे, उनके पास पैसे की कमी थी वो ज्यादातर पैदल ही चला करते थे, बाबा सहाब समाज ओर देश के लिए सदेव कटिबद्घ रहे है, बाबा सहाब ने राष्ट्र की एकता और अखंडता एवं न्यायपूर्ण, वर्गविहीन, जातिविहीन समाज की स्थापना के लिए सदेव पूर्ण निष्ठा से कार्य किया है l

ऐसे क्रांतिकारी युगस्त्रष्ट बाबा सहाब डॉ.बी.आर.आंबेडकर इस वसुंधरा पर कम ही आते है जो अपनी कर्मज्योति फैलाकर हजारों पीढ़ियों के लिए अपने कर्मों की विरासत छोड़ जाते हैं l

बाबा सहाब डॉ आंबेडकर ऐसे ही सारथी थे जिन्होंने अपना आलोक फैलाकर समाज के उपेक्षित,कमजोर, पीड़ित लोगों के जीवन में आशा का नया विश्वास अंकुरित किया उनके व्यक्तित्व पर किसको गर्व नहीं होगा l

बाबा सहाब 6 दिसंबर,1956 को इस संसार से दूर चले गए और वो सब छोड़ गए जिनको आज कोई कर नहीं पाया l

आज मैं उनको श्रद्धांजलि देते हुए सभी देशवाशियो से अनुरोध करता हूं कि समाज के सामाजिक.आर्थिक.और राजनीतिक विकास के नए आयाम स्थापित करने के लिए एक दूसरे को साथ लेकर आगे आए, ओर बाबा सहाब के विचारो उनके कार्यों ओर आदर्श को अपनाते हुए समाज का विकास करने में मदद करे यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी l

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