बिना किसी डिग्री और ट्रेनिंग के चमचो और चाटुकारों की महान कला
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l हमारे बड़े-बुजुर्गो ने हमे बताया था कि सांप के दांत में विष रहता है, मक्खी के सिर में और बिच्छू की पूंछ में । लेकिन समाज में कुछ ऐसे चमचे लोग भी है जिनकी जीभ में जहर होता है । यह जहर इतना मीठा होता है कि एक बार इसकी आदत लग गई तो जनाब छुटकारा भूल ही जाइए । चमचों पर वर्षो शोध व अनुसन्धान के उपरांत पाया गया कि चमचे दो प्रकार के होते हैं । पहले प्रकार में वे चमचे आते हैं, जो पूरी ईमानदारी से चमचागिरी करते हैं । और दूसरे वे होते हैं, जो सामने तो वाह साहब वाह करते हैं, तो चाय-पान की दुकानों पर/महफिलों में अपने पूजनीय के बारे में जहर ही जहर उगलते है । किसी ने बहुत बढ़िया बात लिखी है : “निंदक/आलोचक नियरे राखिये, चमचे/चाटुकार राखिये दूर”
इन्सान के अस्तित्व से ही चमचो की चाटुकारिता का जन्म हुआ है तथा लोकतंत्र ने तो इसे नए आयाम दिए हैं । चमचे लोग बिना किसी डिग्री और ट्रेनिंग के चापलूसी की कला सिर्फ थोड़ी बेशर्मी भरी हंसी और काम के आदमी के सामने जीभ लपलपा कर महारत हासिल कर लेते है l आखिर नेता, अभिनेता से ले कर आम इंसान और कुत्ते तक, चापलूसी किसे नहीं भाती दोस्त l अब सवाल उठता है कि चमचो की चापलूसी की परिभाषा क्या है?
चापलूसी एक बहुत ही महान कला है, और हर कोई इस कला में महारत हासिल नहीं कर सकता l इस में पारंगत होने के लिए बीए, एमए की डिग्री की जरूरत नहीं है, बस, बेशर्मी पर उतर आइए, हर वक्त मुसकराते रहिए और सामने वाले के दुत्कारने के बावजूद भी ऐसे भोले और मासूम बन जाइए कि उस ने जो आप के प्रति धारणा बनाई है, उस पर उसे ही भरोसा न रहे l चापलूस असल में आप के हितैषी होते हैं, कैसे? अरे वे वही कहते हैं, जो आप के मन को अच्छा लगता है, यानी वे आप को जब भी मिलते हैं खुश कर देते हैं तो हुए न वे आप के हितैषी l उन्हें देख कर आप मानें या न मानें आपको एक आंतरिक खुशी जरूर होती है l अपनी तारीफ सुन मनप्राण सब तृप्त हो जाते हैं l ऐसे में सिर्फ उन्हें ही दोष देना गलत है न l आखिर, उन्हें चापलूस बनाने में आप की भी तो कोई कम भूमिका नहीं है l
चमचे चापलूस लोगो की शक्ल, रंगरूप, चालढाल, यहां तक कि कपड़े भी आम लोगों की तरह होते हैं, इसीलिए उन्हें पहचानना टेढ़ी खीर हो सकता है पर अपनी हरकतों और बौडी लैंग्वेज से वे आसानी से पकड़ में आ जाते हैं l उन की आंखें साफ बोलती हैं कि वे झूठ बोल रहे हैं और उन के चेहरे के भाव कहते हैं कि वे समझ रहे हैं कि सामने वाले को बेवकूफ बना दिया है l गजब का आत्मविश्वास होता है इन चापलूसों में l फिर हो भी क्यों न, आखिर ये दूसरों को खुश रखने की कला जो जानते हैं l
किसी भी कार्यक्रम या रास्ते में सम्मान जताने के लिए चापलूसों के हाथ हमेशा जुड़े रहते हैं और कमर झुकने को यों आतुर रहती है मानो रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया हो l शर्म को तो सुबह-शाम ये गोलगप्पे के पानी में घोल कर पी जाते हैं l फिर बाद में चटखारा लेना भी नहीं भूलते हैं l पेट पर हाथ फेर कर पूर्ण संतुष्टि का एहसास करते हुए जब ये चलते हैं तो अपने हाथ में पकड़े झोले में दो-चार जुमले डालना नहीं भूलते l
चमचो को जब कोई काम निकलवाना होता है तो ये कभी कार ले कर आप के पास पहुंच जाते हैं तो कभी मिठाई लेकर l कोई त्योहार हो या ना हो ये अच्छा सा उपहार देने के बहाने पहुँच जाते है l आप न कर के तो देखिए, चापलूस चमचे आप को ऐसे झूले में बैठा कर हिंडोले देंगे कि आप को चक्कर आने लगेंगे l आप को लगेगा कि इस से अच्छा इंसान तो इस दुनिया में कोई है ही नहीं l जब चापलूस का आप से काम निकल जाएगा तो वह आप के आसपास फटकेगा भी नहीं l ये चापलूस चमचे ऐसे जीव हैं जो आत्मग्लानि का बोध करा देते हैं l झूठी प्रशंसा का पहाड़ खड़ा कर, फिर उस में आपकी कमजोरियों के मोटे-मोटे छेद कर देते हैं ताकि आप उन्हें झेलते रहिए l चापलूसी चालाकी है, चापलूसी करने वाले आमतौर पर रीढ़विहीन, कमजोर और खराब चरित्र के होते हैं । वे अपने स्वार्थ के लिए दूसरे के अहंकार को बढ़ाते हैं l
सत्ता बदलते ही चापलूसों का दल बदल हो जाता है, यानी जिस की लाठी उस की भैंस l चापलूस उसी के पीछे जा कर खड़ा होगा जिस की हैसियत होगी l अब चापलूस को दोष देना छोड़ दें क्योंकि वह भी एक इंसान है जो अपने को बचाए रखने के प्रयत्न में हर रोज शहद का कुल्ला करता है l