अखिल भारतीय संगठन की परिभाषा और कर्तव्य तथा संगठन का मानव जीवन में महत्व
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l जिन संस्थाओ की सदस्यता, कार्यप्रणाली एवं उपस्थिति अखिल भारतीय स्तर पर होती है l उन संस्थाओ को अखिल भारतीय संगठन के नाम से जाना जाता है l अखिल भारतीय संगठन सभी लोकतान्त्रिक प्रान्तों/राज्यों का संगठन है जिसके माध्यम से सामाजिक विकास, शैक्षिणिक, स्वास्थ्य, खेलकूद, आर्थिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक न्याय आदि से सम्बंधित सभी कार्य किये जाते है l यह एक ऐसा गैर सरकारी संगठन होता है जिसमे भारत में मौजूद सभी प्रान्तों/राज्यों की भागीदारी को सुनिश्चित की जाती है l
समाजशास्त्रियों के मतानुसार मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व होता है, अकेला मनुष्य शक्तिहीन होता है l अखिल भारतीय संगठन की स्थापना कई प्रान्तों/राज्यों के लोगो की एकता को दर्शाता है जिसका उन सभी प्रान्तों/राज्यों के लोगो को विभिन्न प्रकार के विषयों/मुद्दों पर सहयोग मिलता है l अखिल भारतीय संगठन किसी भी प्रांतीय/राज्य के क्षेत्रीय संगठन की समस्याओं को हल/समाधान का कार्य बेहद प्रभावशाली तरीके से कर सकता है l मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देना l महामारी से बचाव हेतु समाज के लोगो को जागरूक करना व सरकार की सहायता से उपचार व आर्थिक सहयोग उपलब्ध करवाना l
अखिल भारतीय संगठन में सभी लोगो की भागीदारी से लोकतंत्र की भावना का विकास होता है l यह समाज में परामर्श देने, जागरूकता फ़ैलाने, समाजसेवा करने, प्रशिक्षण देने, समाज के लोगो का एकीकरण करने आदि के कार्यों में सहयोग करते है l इन संगठनो के माध्यम से समाज के लोगो और सरकार के बीच गैर राजनीतिक जुडाव प्रभावशाली रूप से होता है l
संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है । संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है । जिस भी प्रान्त/राज्य में परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है और ऐसा सभी प्रान्तों/राज्यों में होता है तो देश तरक्की के नित नए सोपान तय करता है । इसके विपरीत जिस भी प्रान्त/राज्य में परिवार और समाज असंगठित होता है वहां आए दिन किसी न किसी बात पर कलह होती रहती है जिससे वहां हमेशा अशांति का माहौल बना रखता है ।
संगठित परिवार, समाज और देश का कोई भी दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जबकि असंगठित होने पर दुश्मन जब चाहे आप पर हावी हो सकता है । संगठन का प्रत्येक क्षेत्र में विशेष महत्व होता है, जबकि बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं होता है । संगठन का मार्ग ही मनुष्य की सफलता का मार्ग है । यदि मनुष्य किसी गलत उद्देश्य के लिए संगठित हो रहा है तो ऐसा संगठन अभिशाप है, जबकि किसी अच्छे कार्य के लिए संगठन वरदान साबित होता है । मनुष्य जब संगठित होकर कार्य करता है तो संपन्नता और प्रगति को प्राप्त करता है । संगठन में प्रत्येक व्यक्ति का विशेष महत्व होता है l
यह भी संभव नहीं है कि किसी विषय पर सभी व्यक्तियों का मत एक जैसा ही हो, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति किसी विषय या समस्या को अपने नजरिये से ही देखता है और इसी आधार पर उसका समाधान भी खोजता है, लेकिन जब बात संगठन की आती है तब मनुष्य को वही करना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों का भला हो । संगठन में प्रत्येक मनुष्य को अपनी व्यक्तिगत भावनाओं पर नियंत्रण करना होता है इसलिए संगठन में व्यक्ति को शारीरिक तौर पर ही नहीं, बल्कि मानसिक व बौद्धिक रूप से भी समर्पित होना पड़ता है ।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस लेख में लेखक के निजी विचार हैं । आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए समाजहित एक्सप्रेस उत्तरदायी नहीं है ।