चौहान शुभांगी मानसिंह को साहित्य लेखन व विविध विषयों पर शोधालेख के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु सम्मानित किया जाएगा
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l गोपाल किरण समाजसेवी संस्था, ग्वालियर के तत्वाधान में 28 अक्टूबर 2023 को आयोजित होने वाले एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार ब्रिलियंस अवार्ड सेरेमनी का भव्य समारोह बंगलुरु के कार्यक्रम में मुख्य संरक्षक कैलाश चन्द मीणा (IFS), मुख्य अतिथि व वक्ता डॉ० बी.पी. अशोक (IPS), व सूर्यकांत शर्मा होंगे l इनकी गरिमामयी उपस्थिति में चौहान शुभांगी मानसिंह को साहित्य लेखन व विविध विषयों पर शोधालेख के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा ।
जीवन परिचय-
चौहान शुभांगी मानसिंह का जन्म 3 दिसंबर 1981 को लातूर महाराष्ट्र में हुआ l इनके पिता का नाम चौहान मगनसिंह देविसिंह व माता का नाम शोभादेवी है l शिक्षा बीए. डी.एड एम.ए.फस्ट प्राप्त की है l
संप्रति : कविता लेखन में रूची, शोधार्थी
प्रकाशित कृतियाँ : पंद्रह कविताएँ अमृत राजस्थान राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक में प्रकाशित ।
रिसर्च पेपर- विविध विषयों पर शोधालेख प्रकाशित प्रगती प्रकाशन तथा शोध प्रकाशन में शोधालेख।
सम्मान : साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान-2023 एशियन रिसर्च फांउडेशन तथा शोध फाऊँडेशन द्वारा ।
शिक्षा रत्न सम्मान 2023 एशियन रिसर्च फांउडेशन तथा शोध फाऊँडेशन द्वारा ।
प्राची पब्लिकेशन द्वारा उत्कृष्ट कलमकार सम्मान 2023 तथा प्रगती प्रकाशन द्वारा एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभाग हेतु प्रमाण पत्र तथा सम्मान पत्र विषय समकालीन साहित्य में किन्नर विमर्श।
शासकीय महाविद्यालय जिला छतरपुर लवकुशनगर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार में सहभाग विषय– राष्ट्रीय शिक्षा निति 2020 की क्रियान्वयन की चुनौतियां l
पारिवारिक समस्याओं के कारण उच्च शिक्षा नही ले सकी कोई बहुत बडी उपलब्धि नही हैं लेकिन हिंदी प्रेमी हूँ तथा हिंदी के उत्थान के लिए अपनी और से पूरी कोशिश जारी हैं जैसे स्त्री विमर्श, किन्नर विमर्श, राष्ट्रीय शिक्षा निति इन विषयों पर शोधालेख तथा कविता लेखन में रूची हैं ।
देहात में विवाह के पश्चात शिक्षा अधूरी रही पंद्रह वर्ष के बाद एम.ए की डिग्री पूरी करनी चाही लेकिन दुर्भाग्य से ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआती लक्षण दिखाई देने की वजह से फिर से शिक्षा अधूरी रही ।अपनी और से अब जैसे बन पडे वैसी कुषठरोगियों की मदद जो मंदिर परिसर तथा अन्यत्र कंही बैठकर रहते हैं जिन्हे हाथों की ऊंगलियां न होने के कारण काम करने में दिक्कत होती हैं उनका मेरी ओर से जो बन पडे वह सत्कार्य मैं करती हूँ जैसे कभी अन्न कभी कपडे तो कभी कुछ पैसों का दान उन्हे कर देती हूँ।
दान वही श्रेष्ठ होता हैं जिसका कंही पर भी कोई उल्लेख, चर्चा न हो वही दान सफल होता हैं ।
मैं छोटी कवयित्री हूँ ।
जैसे हरिवंशराय बच्चन जी कहते हैं कि ,” मिट्टी का तन, मिट्टी का मन, क्षण भर जीवन मेरा परिचय…”
मेरा परिचय अल्प हैं लेकिन अनाथों को गोर-गरीबों को सहायता करने की जिद मन में बड़ी हैं ..धन्यवाद..।
आगे हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने में तथा हिंदी का विकास करने के लिए अपना योगदान देती रहूंगी ।
स्त्री विमर्श पर मेरी कुछ पंक्तियाँ..
स्त्री यह विषय आते-आते विमर्श पर आकर रूक जाता हैं जैसे स्त्री सदियों से लिए फिरती हैं अपने पांव में रूढी तथा परम्पराओं की बेड़ियां जो खिंचते-खिंचते उसके पांव जैसे अनगिनत जख्मों से भर गये हैं ,स्त्री जिसे स्वयं सृजन का वरदान हैं जो पालनकर्ता की भी पालनकर्ता हैं वह क्यों इतनी अशक्त हो जाती हैं की अपने जीवन के निर्णय तक वह खुद ले नही पाती हैं वह बैसाखियों का सहारा लेकर सारी उम्र चलती रहती हैं कभी मायके की बैसाखी तो कभी ससुराल की बैसाखी और यह पूरूषप्रधान संस्कृति उसे बना देती हैं मानसिक अपाहिज..
आज समय आ गया हैं की उसको झटककर फेंकनी हैं यह बैसाखियां और बनाना हैं स्वयं को आत्मनिर्भर और बनना हैं विद्रोहिणी उस समाज के खिलाफ जो देता आया हैं उसको उपहार स्वरूप मानसिक अपाहिजपन …खत्म करनी हैं उसे अब सहते-सहते सहने की पीड़ा और हद..