समलैंगिक विवाह केस की सुनवाई के विरोध में सैंकड़ो महिलाओ ने सौंपा ज्ञापन l समलैंगिक विवाह देश की संस्कृति पर आघात
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l जयपुर 3 मई। समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता देने को लेकर चल रही सुनवाई के बीच देशभर में चिंता व विरोध भी बढ़ता जा रहा है l बुधवार को जयपुर में जागृत महिलाओ ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रथम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया । ज्ञापन में समलैंगिक विवाह को देश की संस्कृति के विरुद्ध बताया है. महिला जागृति समूह व आम-जनमानस समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने की मांग कर रहा है l
महिलाओं का कहना था कि समलैंगिक विवाह भारतीय विवाह संस्कार पर अंतरराष्ट्रीय आघात है l समूह की डॉ० सुनीता अग्रवाल ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सांस्कृतिक मूल्यों का हनन होगा l साथ ही कहा कि कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है, न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप न करे l संसद का काम संसद को ही करने दें l समूह में शामिल शालिनी राव ने कहा की भारत के सामाजिक ढांचे में विवाह एक पवित्र संस्कार है और उसका उद्देश्य मानव जाति का उत्थान है । इसमें जैविक पुरुष और जैविक महिला के मध्य विवाह को ही मान्यता दी गई है । अपनी राय व्यक्त करते हुए अरुणा शर्मा ने बताया की समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दे पर न्यायालय की सक्रियता का समर्थन मिला तो यह भारत की संस्कृति को कमजोर करेगा ।
महिलाओ ने एक स्वर में कहा की न्यायपालिका को विधायिका के क्षेत्र में अतिक्रमण नही करना चाहिए । समलैंगिक विवाह का विषय में न्यायालय को सुनवाई नही करनी चाहिए । सुनीता अग्रवाल, शालिनी राव, मीनाक्षी पारीक, रमा पाण्डे, अरुणा शर्मा, शशि चाहर, मंजू शर्मा, सुमन बंसल सहित सैंकड़ो महिलाए कलेक्ट्रेट पर ज्ञापन देने पहुंची थी ।