आगामी 25 दिसम्बर को रैगर मतदाता विवेकपूर्ण मतदान करके ABRM के 34 उम्मीदवारों की किस्मत तय करेंगे
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l अखिल भारतीय रैगर महासभा के त्रिवार्षिक चुनाव के लिए आगामी 25 दिसम्बर को मतदान होना निश्चित है l जिसमे कुल 106 उम्मीदवार मैदान में डटे हुए हैं । कुल 12 हजार 348 मतदाता हैं । ये सभी मतदाता कुल 34 उम्मीदवारों की किस्मत तय करेंगे । दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व पंजाब के जिलो तहसील व गांवों के आस-पास के क्षेत्र में चुनाव हेतु मतदान केंद्र बनाये गए है l सभी प्रत्याशियों के बीच कांटे का मुकाबला होने की संभावना है । यह महासभा के इतिहास में एक सुखद परिवर्तन होने की सम्भावना है ।
अब 25 दिसम्बर को मतदान होना निश्चित है l उम्मीदवारों द्वारा पंजीकृत मतदाताओं से संपर्क सहित अलग अलग तरीको से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने को लेकर नये नये तरीके अपनाये जा रहे हैं । वहीं दूसरी तरफ मतदाताओं की चुप्पी भी उम्मीदवारों के लिये परेशानी का सबब बनता जा रहा है । उम्मीदवारों द्वारा मतदाताओं से विभिन्न तरीके से जहां रिझाने का प्रयास किया जा रहा है तो मतदाता है कि प्रत्याशियों की चिकनी चुपड़ी बातों का जवाब उन्हें ही समर्थन देंगे कि बात कर उन्हें केवल आश्वासन ही दे रहे हैं कि इस बार तो आपको ही मौका देने का मन बना रखा हैं । इस प्रकार आश्वासन देकर उम्मीदवारों को टरका रहे हैं ।
अखिल भारतीय रैगर महासभा के त्रिवार्षिक चुनाव को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है । चुनाव में जीत दर्ज करने को लेकर उम्मीदवारों द्वारा हर वो दांव चला जा रहा है जो कि उन्हें चुनाव की वैतरणी को पार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके । कहीं वे अपने आपसी रिश्ते को आधार बनाया जा रहा है तो कहीं गोत्र कार्ड का तो कहीं भरोसा करने की बात पर प्रत्याशी द्वारा वोट बटोरने का प्रयास किया जा रहा है । हालांकि इन सब के बीच समाज विकास की मूल अवधारणा की आवश्यकता कहीं धूल फांकती ही नजर आ रही है ।
किसी भी प्रत्याशी के संकल्प पत्र कहें या फिर घोषणा पत्र या फिर प्रचार प्रसार में अखिल भारतीय रैगर महासभा की मूल अवधारणा या महापुरुषों का कोई जिक्र नहीं हो रहा उम्मीदवार सिर्फ और सिर्फ मतदाताओ का वोट हासिल करने पर जोर दे रहे है ताकि तीन साल महासभा की सत्ता का आनंद ले सके l इस प्रकार प्रतीत होता है कि इन उम्मीदवारों की कथनी व करनी में फर्क है l इन सभी बातों को समझकर ही मतदाता अपनी चुप्पी तोड़ने को तैयार नहीं । वहीं खास प्रभाव रखने वाले मतदाताओं को रिझाने के लिये प्रत्याशियों द्वारा कार्यकारिणी सदस्य बनाने व पदों सहित विभिन्न प्रकार के प्रलोभन का भी सहारा लिया जा रहा है । इन पन्द्रह दिनों के प्रचार प्रसार में सभी उम्मीदवारों के समर्थको द्वारा प्रत्येक उम्मीदवार के कारनामो का चिटठा खोल कर मतदाताओ को सतर्क कर दिया है l अब मतदाता बड़ा सोच समझकर इन उम्मीदवारों को वोट करेगा, मतदाताओ के वोट से जीतने के बाद समाज की धनराशि का समाज विकास में सदुपयोग करने के बजाय अपनी मनमर्जी से अनाप सनाप खर्च करते है, जिसमे समाज की कभी आम सभा बुलाकर सहमति नहीं लेते l इनके द्वारा किसी भी कार्यक्रम को आयोजित करने में समाज की कोई रायशुमारी नहीं होती है l