रैगर समाज के दो महान कर्मयोगी सपूतों के द्वारा की गई समर्पण भाव से समाज सेवा के जज्बे को सैलूट
स्व० श्री धर्मदास शास्त्री जी राजनीति में रहते हुए भी सदा समर्पण भाव से समाज की सेवा की, सदा समाज विकास में अग्रणी रहे l
स्व० श्री यादराम धुडिया जी सरकारी सेवा रहते हुए समर्पण भाव से समाज सेवा की मिशाल बने, समाजसेवा से बदली समाज की आर्थिक तस्वीर, बने प्रेरणास्त्रोत l
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l सादगी, सेवा, त्याग और निष्ठा की भावना से परिपूर्ण कर्म को ही अपने जीवन का उद्देश्य मानकर निस्वार्थ भाव से समाजसेवा के प्रति समर्पित सच्चे समाजसेवी स्वर्गीय श्री धर्मदास शास्त्री जी व स्वर्गीय श्री यादराम धुडिया जी (पूर्व आईपीएस) पारिवारिक दायित्व निभाते हुए सामाजिक गतिविधियों में अपना सराहनीय योगदान देने में सदा अग्रणी रहे थे l आज बेशक दोनों शख्सियत हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी सोच और विचार को समाज में कायम रखने की कोशिश जारी है । आज के सामाजिक नेताओ के लिए दोनों महान विभूतियों का चरित्र समाज उत्थान के लिए प्रेरणादायक और अनुकरणीय है l
स्वर्गीय श्री धर्मदास शास्त्री जी राजनीति क्षेत्र में व्यस्त होते हुए भी समाजहित के मुद्दों पर समाज के लोगो के साथ सदेव खड़े मिले है l कभी भी समाज का सर नहीं झुकने दिया l रैगर समाज के लोग कभी उनके दर से निराश नहीं लौटे l समाज के बहुत से लोगो को उन्होंने मदद भी की l 6-7 अक्टूबर 1984 को जयपुर में चतुर्थ रैगर महासम्मेलन आयोजित कर उसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी को समाज के बीच लाये और 27 सितम्बर 1986 को दिल्ली के विज्ञानं भवन में आयोजित पंचम अखिल भारतीय रैगर महासम्मेलन में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री ज्ञानी जैलसिंह जी को रैगर समाज के बीच लाकर इतिहास रचा l
स्वर्गीय यादराम धुडिया जी (आईपीएस) रैगर समाज के प्रथम आईपीएस अधिकारी थे l धुडिया साहब सरकारी पुलिस सेवा में रहते हुए समर्पण भाव से समाज सेवा के जज्बे की एक अद्भुत मिशाल कायम की l पुलिस के विभिन्न विभागों में रहकर अपना कर्तव्य निभाया l धुडिया साहब ने अपने सरकारी सेवाकाल में समाज के लोगो को नौकरी पर लगाया l कोई भी समाज का व्यक्ति परेशान होकर उनके पास गया तो उनकी तुरंत मदद की थी l उनके सरकारी सेवाकाल में पुलिस वाले की हिम्मत नहीं थी कि रैगर समाज के व्यक्ति को परेशान करे, उनका इतना प्रभाव रहा था l उनको समाज के किसी भी व्यक्ति ने किसी भी समय मदद के लिए गुहार लगाई तो वे तुरंत सुनते थे और उसी समय कार्यवाही करते थे l जिससे समाज के व्यक्ति को राहत मिलती थी l आज भी उनके द्वारा नौकरी लगाये गए लोग विभागों में कार्यरत है l