शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक मोहनलाल सुमन द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु नवाचारी तकनीकी का समावेश ऐतिहासिक कदम

दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) । पारंपरिक शैक्षिक तरीकों से हटकर नई और प्रभावशाली विधियों के माध्यम से शिक्षा को अधिक आकर्षक और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से शिक्षक मोहनलाल सुमन झांसी जिले के गरौठा तहसील के उच्च प्राथमिक विद्यालय राजापुर में नवाचार के प्रतीक बन चुके हैं। अपने अभिनव प्रयासों के लिए मार्च 2019, मार्च 2020 व नवंबर 2020 में वे तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं।
हाल ही में शिक्षक मोहनलाल सुमन ने शिक्षा के क्षेत्र में तकनीकी का समावेश करते हुए ‘AI टीचर सुमन मैम’ का निर्माण किया है। यह एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित वर्चुअल शिक्षिका है, जो बच्चों की सोच, भाषा और सीखने की गति को समझकर उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करती है। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उनका मानना है कि “आज के दौर में बच्चों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ना बेहद जरूरी है। यदि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों का सही उपयोग करें, तो बच्चों के लिए सीखना और अधिक रोचक और प्रभावी हो। विद्यालय के छात्र सुमन मैडम से बात करके और सवालों को पूँछकर बहुत रोमांचित हुए अभिभावकों और विद्यार्थियों के बीच भी इस अनोखे शिक्षक को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। अब विद्यालय के बच्चों को “सुमन मैडम” भी रोचक कहानी कविताएँ और खेल गतिविधियां सिखायेंगी जिससे बच्चों को तकनीक के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा भी प्राप्त होगी यह पहल न केवल ग्रामीण शिक्षा में सुधार लाएगी, बल्कि विद्यार्थियों को भविष्य की उन्नत तकनीकों से भी परिचित कराएगी।मोहनलाल सुमन के शानदार नवाचार के लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी गुरसरांय मनोज कुमार लाक्षाकार ने बधाई दी।

शिक्षक मोहनलाल सुमन के बारे में
5 सितंबर 1975 (शिक्षक दिवस) को जन्मे मोहनलाल सुमन ने वर्ष 1999 में शिक्षक के रूप में अपने सेवा जीवन की शुरुआत की। उनकी पहली तैनाती प्राथमिक विद्यालय लखनपुर, ब्लॉक कमासिन, जनपद बांदा में हुई। अपने कड़े परिश्रम और नवाचारों के दम पर उन्होंने प्राथमिक विद्यालय अर्जुनाह (ब्लॉक महुआ, जनपद बांदा) में प्रधानाध्यापक पद तक का सफर तय किया।
बच्चों से गहरा जुड़ाव और नवाचारों की ललक
बच्चों को केवल पढ़ाना ही नहीं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना भी अपनी जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने अपने स्कूल में स्वयं के खर्च पर प्रोजेक्टर लगाया और बच्चों को खिलौने, मूर्तियाँ, रंगोली, क्राफ्ट और यहां तक कि खाना बनाना भी सिखाया। बच्चों में रचनात्मकता और आत्मविश्वास भरने के लिए वे विज्ञान, कला, सामान्य ज्ञान, योग, संगीत, नृत्य आदि विषयों पर आधारित प्रतियोगिताएं नियमित रूप से आयोजित करते हैं।
शब्दों से नहीं, कार्यों से प्रेरणा देते हैं मोहनलाल सुमन
उनका यह प्रयास कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित न रहे, बल्कि गांव-गांव तक पहुंचे और समाज को बेहतर बनाए, उन्हें एक आदर्श शिक्षक ही नहीं, आदर्श नागरिक भी बनाता है।
राज्य स्तरीय उपलब्धियाँ भी कम नहीं
2022 और 2023 में राज्य स्तरीय कला, शिल्प और कठपुतली प्रतियोगिताओं में लगातार पुरस्कार जीतना, कहानी लेखन में शीर्ष स्थान प्राप्त करना, और शिक्षण सामग्री (TLM) प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर द्वितीय स्थान हासिल करना उनकी रचनात्मकता का प्रमाण है।
मॉडल, वीडियो, और विज्ञान नवाचारों से बच्चों को जोड़ा
मोहनलाल सुमन द्वारा बनाए गए चंद्रयान-3 मॉडल ने देशभर में चर्चा बटोरी। छात्रों के साथ मिलकर बनाए गए इस मॉडल को सफलतापूर्वक आकाश में छोड़ा गया, जिसकी रिपोर्टिंग राष्ट्रीय मीडिया में हुई। उनके शैक्षिक वीडियो जैसे “जलचर जीवन”, “भारत दर्शन”, “सौरमंडल यात्रा” देशभर के विद्यार्थियों में लोकप्रिय हैं।
बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ और बड़े विचार
मोहनलाल सुमन ने अपने विद्यालय में स्वयं के हाथों से 4.5 क्विंटल की रानी लक्ष्मीबाई और 2.5 क्विंटल की महात्मा गांधी की सीमेंट मूर्तियाँ स्थापित कीं, जो छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं।
नुक्कड़ नाटकों और रंगोली के ज़रिए समाज को संदेश
हर शनिवार को उनके विद्यालय के बच्चे गांवों में जाकर अंधविश्वास, नशामुक्ति, बालिका शिक्षा, सड़क सुरक्षा जैसे मुद्दों पर नुक्कड़ नाटक करते हैं। वहीं, राष्ट्रीय पर्वों पर बनाई गई उनकी विशाल रंगोलियाँ हर किसी का ध्यान खींचती हैं।
शिक्षकों की क्रिकेट लीग से लेकर अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव तक
उन्होंने जिले भर के शिक्षकों के लिए ‘टीचर्स प्रीमियर लीग (TPL)’ का आयोजन किया और सामाजिक विषयों पर आधारित लघु फिल्मों का निर्माण कर खजुराहो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सम्मान प्राप्त किया।
सम्मान और सराहना का सिलसिला
शिक्षक मोहनलाल सुमन को अब तक तीन राष्ट्रीय पुरस्कार, तीन राज्य पुरस्कार, स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (2008) सहित जिलाधिकारी, सांसद, विधायक, BSA और अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे सत्यमेव जयते (USA) द्वारा सम्मानित किया गया है।