दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा “कॉपीराइट इश्यूज इन प्रिंट एंड डिजिटल लाइब्रेरी इंवायरमेंट” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया
दिल्ली, समाजहित एक्सप्रेस (रघुबीर सिंह गाड़ेगांवलिया) l
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा दिनांक 20 अप्रैल 2023 को प्रातः 11.30 बजे “कॉपीराइट इश्यूज इन प्रिंट एंड डिजिटल लाइब्रेरी इंवायरमेंट” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया । दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चन्द्र कानखेड़िया की अध्यक्षता एवं महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एसएलए (यू.एस.ए.) की अध्यक्षा एवं ब्रिटिश लाइब्रेरी, लन्दन की सीनियर बिज़नस एंड रिसर्च मेनेजर सुश्री सीमा रामपरसाद, विशिष्ट अतिथि के रूप में कम्युनिकेशन एंड पब्लिक इंगेजमेंट, यूनेस्को, दिल्ली की एसोसिएट ऑफिसर सुश्री ईशा विग तथा वक्ता के रूप में ब्रिटिश कौंसिल लाइब्रेरी, दिल्ली की सीनियर मेनेजर- डिजिटल लाइब्रेरीज, साउथ एशिया सुश्री नीति सक्सेना व सेंट्रल लाइब्रेरी आईआईटी- दिल्ली के लाइब्रेरियन एंड हेड डॉ. नबी हसन उपस्थित रहे। साथ ही, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड की सदस्या श्रीमती विभा लाल चावला विशेष रूप से कार्यक्रम में उपस्थित रहीं ।
दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्रीमती उर्मिला रौतेला द्वारा मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम का तथा अतिथियों का संक्षिप्त परिचय दिया गया I दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया ।
डॉ. आर. के. शर्मा द्वारा सभी सम्मानित अतिथियों को शाल एवं मोमेंटोस से सम्मानित कर स्वागत किया गया तथा श्रोताओं के सम्मुख कार्यक्रम की रूप-रेखा रखी गई । उन्होंने बताया कि हर साल 23 अप्रैल को मनाए जाने वाले विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस, यूनेस्को द्वारा 1995 में निर्धारित किया गया था ।
सुश्री ईशा विग ने बताया कि विश्व इतिहास में 23 अप्रैल एक महत्वपूर्ण दिन है । इस दिन विश्व के कई प्रमुख लेखकों की पुण्यतिथि होने के कारण इसे “विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस” के रूप में घोषित किया गया था । उन्होंने बताया कि विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की इस वर्ष की थीम “इंडिजिनियस लैंग्वेजेज” अर्थात स्वदेशी भाषा है । थीम पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तकों में स्वदेशी भाषाओं को बढ़ावा देने, सीखने के समान अवसर प्रदान करने तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने की क्षमता होती है । नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ़ इंडिया (एनडीएलआई) पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एनडीएलआई में विभिन्न भाषाओं की लगभग 30 करोड़ पुस्तकें हैं जो सभी उम्र के पाठकों की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं । ऑनलाइन किताबें लेखकों के लिए क्षमताएं और पाठकों के लिए एक्सेस को बढ़ावा देती हैं । डिजिटलीकरण के कारण किताबों के उपयोग के तरीके में भी बदलाव आया है । उन्होंने पायरेसी, कॉपीराइट, किताबों की अनधिकृत कॉपी तथा डिजिटल युग की चुनौतियों पर भी चर्चा की । उन्होंने कहा कि पुस्तकालयों को कॉपीराइट कानून का सम्मान करना चाहिए ।
सुश्री नीति सक्सेना ने ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी का संक्षिप्त परिचय देते हुए वहाँ प्रदान की जा रही सेवाओं, संसाधन आदि पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि कॉपीराइट कानून के संरक्षण में लाइब्रेरी की अहम भूमिका है । उन्होंने दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी से जुड़े अपने बाल्यकाल के अनुभव भी सभी से साझा किए । उन्होंने कहा कि पुस्तकालय कर्मचारी होते हुए हमें दोहरी भूमिका निभानी होती है । एक तरफ हम संरक्षक के रूप में लेखकों और रचनाकारों के अधिकारों की रक्षा करते हैं और दूसरी ओर पाठकों को अधिक से अधिक पठन सामग्री उपलब्ध कराते हुए यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका दुरुपयोग न हो । उन्होंने डिजिटल पठन सामग्री से जुड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा की ।
डॉ. नबी हसन ने डिजिटल लाइब्रेरी इंवायरमेंट में कॉपीराइट मुद्दों के भारतीय दृष्टिकोण को साझा किया । साथ ही उन्होंने विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस की पृष्ठभूमि, उसकी थीम जोकि विश्व की लगभग 7000 भाषाओं को बढ़ावा देती हैं, विश्व पुस्तक दिवस को कैसे मनाया जाना चाहिए, बौद्धिक संपदा, कॉपीराइट संरक्षण का आदर्श और संबंधित मुद्दे, कॉपीराइट का पंजीकरण, लेखकों के नैतिक अधिकारों की सुरक्षा, कॉपीराइट धारकों के अधिकार, अधिकारों का हस्तांतरण, संसाधनों का उचित उपयोग, सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध संसाधन, संसाधनों के उचित उपयोग के लिए भारत में कॉपीराइट धारणाएं, इंटरनेट पर कॉपीराइट का उल्लंघन, ऑनलाइन सामग्री का कॉपीराइट संरक्षण, समाचार पत्रों की क्लिपिंग को अपलोड करना, कॉपीराइट अधिनियम के तहत कॉपीराइट सुरक्षा की अवधि, ई-संसाधनों के लिए लाइसेंसिंग क्यों महत्वपूर्ण है, कॉपीराइट सामग्री के उचित उपयोग के लिए दिशानिर्देश, भारतीय कॉपीराइट गाइड आदि पर विस्तार में चर्चा की ।
सुश्री सीमा रामपरसाद ने अपना संबोधन नमस्ते से आरम्भ किया I उन्होंने ब्रिटिश पुस्तकालय लंदन का इतिहास, सेवाएं, कर्मचारी, संसाधन आदि को पीपीटी के माध्यम से श्रोताओं को अवगत कराया । उन्होंने डिजिटल पुस्तकालय जगत में कॉपीराइट मुद्दों के अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को बढ़ी ही सारगर्भिता से प्रस्तुत किया तथा कॉपीराइट के वर्तमान मुद्दों और उनके निवारण पर प्रकाश डाला I इन्टरनेट के माध्यम कॉपीराइट के उल्लंघन को श्रोताओं को जानने की आवश्यकता पर बल दिया और गलत और भ्रामक सूचना से पाठकों को बचाने के लिए लाइब्रेरियनस को जागरूक होने तथा महत्वपूर्ण रोल निभाने के लिए कहा I
श्री सुभाष चन्द्र कानखेड़िया ने विश्व कॉपीराइट दिवस का इतिहास, इसका महत्व एवं भूमिका पर चर्चा की । उन्होंने कहा कि यह कानून रचनाकारों और लेखकों को शक्ति व सुरक्षा प्रदान करता है । उन्होंने सभी पुस्तक प्रेमियों को एक साथ आकर इस दिवस को मनाने एवं कॉपीराइट नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया और एक संस्कृत श्लोक “अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानां तु वसुधैवकुटुम्बकम्“ से अपने भाषण को समाप्त किया I
श्रीमती विभा लाल चावला ने रोज़मरा से जुड़े मुद्दे जिन्हें हम आमतौर पर नज़र अंदाज़ कर देते हैं जैसे कि सोशल मीडिया पर गाने, चित्र साझा करना, पाठ्यपुस्तक की फोटोकॉपी करना आदि कॉपीराइट नियमों के उल्लंघन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए सभी से कॉपीराइट नियमों को जानने, उनके प्रति सजग रहने तथा उनका पालन करने को कहा I
अंत में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्री नरेंद्र सिंह धामी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ ।